Saturday, August 24, 2019

पृथ्वी के वायुमण्डल की संरचना व संगठन

Dear students इस लेख में मैंने पृथ्वी के वायुमण्डल की संरचना व संगठन को समझाया है। इस लेख को पढ़ें और share करें और हाँ टिप्पणी मुझे comment में बताएं अगर यह आपके लिए मददगार था । नमस्कार मैं हुँ विनय चलिये कुछ नया सीखते है।
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                      पृथ्वी के चारों ओर व्याप्त गैसीय आवरण को वायुमण्डल कहा जाता है। जो पृथ्वी के गुरुत्वीय बल के कारण पृथ्वी के साथ संलग्न है | यह सूर्य से आने वाली हानिकारक पराबैंगनी किरणों के अवशोषण और ग्रीनहाउस प्रभाव द्वारा दिन व रात के धरातलीय तापमान को संतुलित रखकर पृथ्वी पर जीवन की रक्षा करता है |

वायुमण्डल का संघटन निम्न तत्वों से मिलकर बनता है:-

◆ गैस
◆ जलवाष्प
◆ धूलकण

वायुमण्डल में 78% नाइट्रोजन, 21%ऑक्सीजन, 0.93% आर्गन, 0.03% कार्बन डाई ऑक्साइड तथा अल्प मात्रा में हाइड्रोजन, हीलियम, ओज़ोन, निऑन, जेनान आदि गैसें उपस्थित रहती हैं।
वायुमण्डल में जलवाष्प की मात्रा 3% से 5% तक होती है, जिसकी प्राप्ति मुख्य रूप से महासागरों, जलाशयों आदि के वाष्पीकरण से होती है। जलवाष्प की मात्रा भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर जाने पर घटती जाती है। जल वाष्प के कारण ही बादल, कोहरा, पाला, वर्षा, ओस, हिम, ओला, हिमपात होता है।
वायुमण्डल में ओजोन परत सूर्य से आने वाली मानव जीवन के लिए हानिकारक पराबैंगनी किरणों की 93-99% मात्रा को अवशोषित कर पृथ्वी सतह तक आने से रोक लेती है | ओजोन की परत की खोज 1913 में फ़्राँस के भौतिक विज्ञानी फैबरी चार्ल्स और हेनरी बुसोन ने की थी।
वायुमंडल में धूल कण, खनिज कण, परागकण, ज्वालामुखी राख आदि के कण भी पाये जाते हैं | इन्हें ‘ऐरोसोल’ भी कहा जाता है और इनके अभाव में बादलों का निर्माण नहीं हो सकता है, क्योंकि इन्हीं के सहारे जलवाष्प एकत्र होती है | इसीलिए इन्हें ‘आर्द्रताग्राही नाभिक’ भी कहा जाता है।

पृथ्वी के वायुमण्डल को पृथ्वी की सतह से लेकर उसके ऊपरी स्तर तक निम्नलिखित पाँच स्तरों में बाँटा गया है-

◆ क्षोभमण्डल (Troposphere)
◆ समतापमण्डल (Stratosphere)
◆ मध्यमण्डल (Mesosphere)
◆ तापमण्डल ( Thermosphere )/ आयनमंडल(ionosphere)
◆ बाह्यमण्डल (Exosphere)

क्षोभमण्डल (Troposphere) :

                      यह वायुमण्डल की सबसे निचली परत है, जिसकी ऊँचाई ध्रुवों पर लगभग 8 किमी. और भूमध्यरेखा पर लगभग 18 किमी. होती है। सभी वायुमंडलीय या मौसमी घटनाएँ इसी मण्डल में घटित होती हैं।
                    सम्पूर्ण वायुमण्डल का 80% द्रव्यमान इसी मण्डल में उपस्थित है| वायुमंडल का लगभग 50% द्रव्यमान तो 5.6 किमी. की ऊँचाई तक ही मिलता है, जो मुख्यतः नाइट्रोजन, ऑक्सीजन और कुछ अन्य गैसों से मिलकर बना है।
वायुमंडल की लगभग सम्पूर्ण जलवाष्प क्षोभमंडल में ही पायी जाती है, इसी कारण यहाँ मौसमी घटनाएँ jहोती हैं |
                   क्षोभमंडल में नीचे से ऊपर जाने पर 6.50C/किमी. की दर से तापमान घटता जाता है| इसकी सबसे ऊपरी सीमा क्षोभमण्डल सीमा (Tropopause) कहलाती है।

समतापमण्डल (Stratosphere):

                          यह वायुमण्डल की दूसरी सबसे निचली परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 12 से 50 किमी. होती है | ओज़ोन परत इसी मण्डल की ऊपरी सीमा पर पायी जाती है, जो पराबैंगनी किरणों का अवशोषण करती है।समतापमण्डल में तापमान लगभग समान रहता है लेकिन ऊँचाई बढ़ने के साथ इसका ताप बढ़ने लगता है, जिसका कारण पराबैंगनी किरणों का ओज़ोन परत द्वारा अवशोषण है।
                         वायुमण्डलीय या मौसमी घटनाएँ इस मण्डल में घटित नहीं होती हैं। इसकी सबसे ऊपरी सीमा समताप सीमा ( Stratopause ) कहलाती है। वायुयान की उड़ान हेतु यह मण्डल सर्वाधिक उपयुक्त होता है।

मध्यमण्डल (Mesosphere):

                        यह वायुमण्डल की तीसरी सबसे निचली और समतापमण्डल के ऊपर स्थित परत है,जिसकी ऊँचाई लगभग 50 से 80 किमी. होती है | मध्यमण्डल में नीचे से ऊपर जाने पर से तापमान घटता जाता है। मध्यमण्डल की सबसे ऊपरी सीमा पृथ्वी का सबसे ठंडा स्थान है, जहाँ का औसत तापमान लगभग −85°C होता है। अन्तरिक्ष से पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश करने वाले लगभग सभी उल्कापिंड इस परत आकर जल जाते हैं।

तापमण्डल (Thermosphere) आयनमंडल(ionosphere) :

                      यह मध्यमण्डल के ऊपर स्थित परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 80 से 700 किमी. होती है। तापमण्डल में नीचे से ऊपर जाने पर से तापमान बढ़ता जाता हैइसकी सबसे ऊपरी सीमा तापसीमा ( Thermo pause) कहलाती है।तापमंडल की निचली परत (80 - 550 किमी.) आयनमण्डल कहलाती है क्योंकि यह परत सौर्यिक विकिरण द्वारा आयनीकृत (Ionized) हो जाती है। आयनमंडल पूरी तरह से बादल व जलवाष्प विहीन परत है। आयनमंडल से ही रेडियो तरंगें परावर्तित होकर वापस पृथ्वी की ओर लौटती हैं और रेडियो,टेलीवीजन आदि के संचार को संभव बनाती हैं। संचार उपग्रह इसी मण्डल में स्थित होते है। उत्तरी ध्रुवीय प्रकाश (aurora borealis) तथा दक्षिणी ध्रुवीय प्रकाश (aurora australis) की घटनाएँ तापमण्डल में ही घटित होती हैं।

बाह्यमण्डल (Exosphere) :

                      यह तापमण्डल के ऊपर स्थित परत है, जिसकी ऊँचाई लगभग 700 से 10,000 किमी. तक होती है। यह वायु मण्डल की सबसे बाहरी परत है, जो अंततः अन्तरिक्ष में जाकर मिल जाती है। बाह्यमण्डल में हाइड्रोजन व हीलियम गैस की प्रधानता होती है।
धन्यवाद---------

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