Thursday, November 14, 2019

Bacterial Diseases In Humans

            Dear students इस लेख में मैंने बैक्टीरिया/जीवाणु तथा उससे होने वाले रोगों  को समझाया है। इस लेख को पढ़ें और share करें और हां टिप्पणी मुझे comment में बताएं अगर यह आपके लिए मददगार था। नमस्कार मैं हूँ विनय चलिए आज कुछ नया सीखते हैं।

Daily Current Affairs Quiz 14/11/2019 : Click here
Daily Current Affairs Quiz 13/11/2019 : Click here
Daily current Affairs Quiz 12/11/2019: Click here
To get free daily newspaper : click here  
Free History Quiz : click here
Free Geography Quiz : click here
Free Biology Quiz : click here
Indian History Handwritten PDF: Click here 
Indian Geography Handwritten PDF: Click here

           बैक्टीरिया जिन्हें हम हिंदी में जीवाणु कहते है एक एककोशिकीय जीव (Unicellular organisms) है। जो की पूरी पृथ्वी पर हर जगह स्वतंत्र रूप से पाए जाते है यहाँ तक की हमारे शरीर में भी ।
          एक सामान्य नोट पर भी 3 हज़ार प्रकार के लाखों बैक्टीरिया होते है हालांकि हमारे मोदी जी के नए नोट पर इनकी संख्या कम है।😂
          इसका आकार कुछ मिलिमीटर तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छड़, आदि आकार की हो सकती है। ये अकेन्द्रिक, कोशिका भित्तियुक्त, एककोशकीय सरल जीव हैं । जीवाणु पूरे जीव मंडल का एक अहम हिस्सा होता है।
         जीवाणु की खोज 1683 ई० में हॉलैंड (Holland) के वैज्ञानिक एण्टॉनी वॉन ल्यूवेनहॉक (Antony Von Leeuwenhock) ने की थी। उन्होंने अपने बनाये हुए सूक्ष्मदर्शी से दाँत के खुरचन में इन जीवाणुओं को देखा तथा इन्हें सूक्ष्म जीव (Tiny animalcules) कहा। इसी कारण से ल्यूवेनहॉक को जीवाणु विज्ञान का पिता (Father of Bacteriology) कहा जाता है। जीवाणुओं के अध्ययन को जीवाणु विज्ञान (Bacteriology) कहा जाता है।
         जीवाणु अलैंगिक प्रजनन करते है वे द्विखण्डन द्वारा दो भागों में विभाजित हो जाते हैं । जिसमें की जनक कोशिका डीएनए की कॉपी करके फैल जाता है और बीच से द्विखण्डन करके अलग हो जाता है । विभाजन के बाद पुत्री कोशिका और जनक कोशिका का डीएनए समान होता है।

जीवाणु से होने वाले रोग :-

Trick:

टिकु पटाका में सिडी बनी है 

टि – टिटेनस ( बैक्टीरिया से होने वाला एक गंभीर संक्रमण जो मांसपेशियों में दर्द करने वाली ऐंठन पैदा करता है और जिससे मृत्यु भी हो सकती है। जबकि टी.बी. जिसे हिंदी में क्षय रोग और मेडिकल भाषा में ट्यूबरक्लोसिस कहते हैं एक बैक्टीरिया जनित रोग है। यह एक बैक्टीरिया माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस द्वारा उत्पन्न संक्रमण है।)
कु – कुष्ट रोग ( लक्षण पांव और पैरों में कमज़ोरी और झनझनाहट के रूप में शुरू होते हैं और शरीर के ऊपरी हिस्से में फैल जाते हैं. लकवा हो सकता है)
प – प्लेग (चूहों के शरीर पर पलने वाले कीटाणुओं की वजह से भी प्लेग की बीमारी फैलती है और ये अत्यंत संक्रामक होती है. प्लेग के मरीज़ की सांस और थूक के ज़रिए उनके संपर्क में आने वाले लोगों में भी प्लेग के बैक्टीरिया का संक्रमण हो सकता है।)
टा – टॉयफाईड (लक्षणों में तेज बुखार, सिर दर्द, पेट में दर्द, कमजोरी, उल्टी और पेचिश शामिल है)
का – काली खाँसी (श्वसन तंत्र में एक बेहद संक्रामक संक्रमण जो कि टीके द्वारा रोका जा सकता है)
मे – मेनिनजाइटिस (इसे दिमागी बुखार भी कहा जाता है।)
सि – सिफिलिस (पहले चरण में जननांगों, मलाशय या मुंह पर एक छोटा सा दर्दरहित छाला होता है। आरंभिक छाले के ठीक होने के बाद, दूसरे चरण में एक चकत्ता होता है । फ़िर, अंतिम चरण तक कोई लक्षण दिखाई नहीं देते, जो सालों बाद भी हो सकता है। इस अंतिम चरण में दिमाग, तंत्रिकाओं, आंखों या दिल को नुकसान हो सकता है)
डी – डिप्थीरिया (नाक और गले का एक गंभीर संक्रमण, जो टीके के द्वारा आसानी से रोका जा सकता है)
ब – बॉट्यूलिज्म (भोजन विषाक्तता)
नी – निमोनिया (अत्यंत ठंड लगने से उत्पन्न रोग जिसमें फ़ेफड़ों में सूजन हो जाती है।)
है – हैजा (बैक्टीरिया से होने वाला एक रोग, जो पानी से फैलता है और जिसमें गंभीर दस्त और शरीर में पानी की कमी हो जाती है।)

धन्यवाद....

0 comments