Tuesday, November 12, 2019

Panchayati Raj

     नमस्कार मैं हुँ विनय जैसा की आप सब जानते हो की भारत में होने वाली सभी प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए पंचायती राज विषय बहुत महत्वपूर्ण हैं। इस लेख में मैं आज आपको पंचायती राज संस्थानों के संदर्भ में विस्तृत जानकारी प्रदान कर रहा हुँ। इस लेख को पढ़ें और share करें और हां टिप्पणी मुझे comment में बताएं अगर यह आपके लिए मददगार था।



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     भारतीय संविधान में शासन चलाने से सम्बन्धित कुछ राज्यों के निर्देशक सिद्धांतों का भी उल्लेख है। इन्हें Directive Principles of State Policy कहते हैं। इन सिद्धांतों में से एक सिद्धांत यह है कि भारत की सरकार देश में ग्राम स्वशासन के दिशा में कार्रवाई करे। इस निर्देश के अनुपालन के लिए इसे भारतीय संविधान में 73 वें संविधान संशोधन अधिनियम 1991 के द्वारा 1992 में जोड़ा गया है। यह अधिनियम 24 अप्रैल, 1993 से लागू हुआ। इसीलिए भारत में 24 अप्रैल को हर वर्ष राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस संशोधन के द्वारा देश में पंचायती राज की व्यवस्था लागू की गई। 

भारत में पंचायती राज की व्यवस्था त्रि-स्तरीय है- 

1.ग्राम पंचायत
2. पंचायत समिति
3. जिला परिषद्

पंचायत स्थानीय निकाय पंचायती राज संस्थानों की सबसे बुनियादी कार्यकारी संस्था है।राजस्थान पहला राज्य था जिसने पंचायती राज संस्था की शुरुवात की । नागौर जिले के बगदरी गाँव में अक्टूबर 1959 को प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा इस योजना का उद्घाटन किया गया था। इसके बाद आंध्र प्रदेश ने भी 1959 में इस प्रणाली को अपनाया। धीरे-धीरेअन्य राज्यों ने भी इसका पालन करना शुरू कर दिया।

पंचायती राज से संबंधित समितियां :-

➤ जनवरी 1957 में बलवंत राय जी मेहता ( गुजरात के मुख्यमंत्री ) की अध्य्क्षता में भारत सरकार ने सामुदायिक विकास कार्यक्रम (1952) और राष्ट्रीय विस्तार सेवा (1953) के कामकाज की जांच के लिए एक समिति का गठन किया था। जिसे बलवंत राय समिति के नाम से जाना जाता है। इस समिति के अध्यक्ष बलवंत राय जी मेहता ने उनके बेहतर कार्य के लिए उपाय सुझाए। इसी समिति की सिफारिशों के कारण ही स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में पंचायती राज संस्था की स्थापना हुई।
➤ 1977 मेंजनता सरकार ने अशोक मेहता की अध्यक्षता में एक समिति नियुक्त कीजिसका कार्य पंचायती राज की घटती क्रियाशक्ति को पुनर्जीवित और मजबूत करना था।
➤ 1985 में पी. वी. के. राव की अध्यक्षता में ग्रामीण विकास और गरीबी उन्मूलन कार्यक्रमों के लिए प्रशासनिक व्यवस्था समिति को योजना आयोग द्वारा गठित किया गया था।
➤ 1986 मेंराजीव गांधी सरकार ने एल. एम. सिंघवी की अध्यक्षता में 'लोकतंत्र और विकास के लिए पंचायती राज संस्थानों के पुनर्जीवनपर एक समिति नियुक्त की।
              73 वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1992 ने भारतीय संविधान में 'पंचायतनाम से एक नया भाग-IX जोड़ा। भारतीय सविंधान के अनुच्छेद 40 में राज्यों को पंचायतों के गठन का निर्देश दिया गया हैं तथा अनुच्छेद 243 से 243 (O) के प्रावधान शामिल हैं। इसके अलावाइस अधिनियम के तहत संविधान में एक नई ग्यारहवी अनुसूची जोड़ी गयी। इस अनुसूची में पंचायत 29 विषयों पर कानून बनाने का अधिकार रखती हैं। परन्तु कुछ राज्य जहां यह अधिनियम पूर्ण रूप से लागू नहीं होताउनमे जम्मू और कश्मीरमिजोरममेघालय और नागालैंड और कुछ अन्य अनुसूचित और जनजातीय क्षेत्र शामिल हैं।
       इस संशोधन के द्वारा एक संवैधानिक संस्था बनाई गई जिसे ग्राम सभा कहा जाता हैजो ग्राम स्तर पर एक निकाय है जिसमें पंचायती क्षेत्र में आने वाले गांव के सभी पंजीकृत मतदाता शामिल होते है।
       पंचायत के सदस्यों को सीधे लोगों द्वारा निर्वाचित किया जाएगा। इसके अलावामध्यवर्ती और जिला स्तर की पंचायतों के अध्यक्ष परोक्ष रूप से निर्वाचित सदस्यों के बीच में से उनके द्वारा चुने जाएँगे। हालांकिगांव पंचायत के अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया राज्य विधानमंडल निर्धारित करता है। वैसे पंचायत स्तर पर चुनाव लड़ने की न्यूनतम आयु 21 साल है।
       प्रत्येक स्तर की पंचायत का कार्यकाल पांच साल होगा। पंचायत की अवधि समाप्त होने से पहले भी इसे समाप्त किया जा सकता है। वर्तमानं पंचायत के समाप्त होने से पहले ही अग्रिम पंचायत के चुनाव करा लिए जाने चाहिए और इसके भंग होने के स्तिथि में छह महीने से पहले चुनाव संपन्न करा लिए जाने चाहिए।
       मतदाता सूची तैयार करने और पंचायतों के सभी चुनावों के संचालन की निगरानीनिर्देश और नियंत्रणराज्य निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी होती है।

चलते चलते मैं आपको थोड़ा सा सरपंच पद के बारे में भी बता देता हुँ।:-



सरपंच ग्राम कचहरी के प्रधान कहा जाता है। (ग्राम पंचायत की न्यायपालिका को ग्राम कचहरी कहते है) सरपंच का निर्वाचन मुखिया की तरह ही प्रत्यक्ष ढंग से होता हैसरपंच का कार्यकाल वर्ष है। उसे कदाचारअक्षमता या कर्तव्यहीनता के कारण सरकार द्वारा हटाया भी जा सकता है। अगर 2/3 पँच सरपंच के विरुद्ध अविश्वास प्रस्ताव पास कर दें तो सरकार सरपंच को हटा सकती है। सरपंच का प्रमुख कार्य ग्राम कचहरी का सभापतित्व करना होता है। कचहरी के प्रत्येक तरह के मुक़दमे की सुनवाई में सरपंच का होना अवश्य होता है। सरपंच ही मुक़दमे को स्वीकार करता है तथा मुक़दमे के दोनों पक्षों और गवाहों को उपस्थित करने का प्रबंध करता है वह प्रत्येक मुकदमे की सुनवाई के लिए दो पंचों को मनोनीत करता है। ग्राम कचहरी की सफलता बहुत हद तक उसकी योग्यता पर निर्भर करती है।


Thanx ......



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