Friday, December 20, 2019

खुद को गुमराह ना होने दें गलत सूचना का शिकार ना बने नागरिकता संशोधन कानून के तथ्यों को सही प्रकार से समझे।

               जैसा की आप सब जानते हैं की देश में कुछ गुमराह लोग दंगे करने वाले कुछ अराजक तत्वों का साथ देने को तैयार हो रहें हैं। आज के इस ब्लॉग में हम कुछ प्रश्नों के माध्यम से CAA और NRC  को पूर्ण रूप से समझने की कोशिश करेंगे।  आप अपना स्वार्थ साधने वालों के बहकावे में न आकर खुद पढ़ें समझें और फिर इस मामले में विवेक से अपनी राय बनाएं। नमस्कार मैं हूँ विनय चलिए कुछ अच्छा जान लेते हैं। 
आप लेख को पढ़ें और शेयर करें। 



Question:  क्या CAA में ही NRC निहित है?
Answer: ऐसा नहीं है। CAA अलग कानून है और NRC एक अलग प्रक्रिया है। CAA संसद से पारित होने के बाद देशभर में लागू हो चुका है। जबकि देश के लिए NRC के नियम व प्रक्रिया तय होने अभी बाकी है। असम में जो NRC की प्रक्रिया चल रही है। वह माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और असम समझौते के तहत की गई है।

Question: क्या भारतीय मुसलमानों को CAA और NRC को लेकर किसी प्रकार परेशान होने की जरूरत है?
Answer:  किसी भी धर्म को मानने वाले व्यक्ति को CAA या NRC से परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है।

Question: क्या NRC सिर्फ मुसलमानों के लिए होगा?
Answer:  बिल्कुल नहीं इसका किसी धर्म से कोई लेना-देना नहीं है।  यह भारत के सभी नागरिकों के लिए होगा यह नागरिकों का केवल एक रजिस्टर है।  जिसमें देश के हर नागरिक को अपना नाम दर्ज कराना होगा।

Question: क्या NRC में धार्मिक आधार पर लोगों को बाहर रखा जाएगा ? 
Answer: नहीं NRC किसी धर्म के बारे में बिल्कुल भी नहीं है।  जब NRC लागू किया जाएगा तब न तो  धर्म के आधार पर लागू किया जाएगा और ना ही उसे धर्म के आधार पर लागू किया जा सकता है।  किसी को भी सिर्फ इस आधार पर बाहर नहीं किया जा सकता कि वह किसी विशेष धर्म को मानने वाला है।

Question: क्या NRC के जरिए मुसलमानों से भारतीय होने का सबूत मांगा जाएगा ?
Answer: सबसे पहले आपके लिए यह जानना जरूरी है कि राष्ट्रीय स्तर पर NRC जैसी कोई औपचारिक पहल शुरू नहीं हुई है।  सरकार ने ना कोई अधिकारिक घोषणा की है और ना ही इसके लिए कोई नियम कानून बने हैं। भविष्य में अगर यह लागू किया जाता है तो यह नहीं समझना चाहिए कि किसी से उसकी भारतीयता का प्रमाण मांगा जाएगा NRC को आप एक प्रकार से आधार कार्ड या किसी दूसरे पहचान पत्र जैसी प्रक्रिया से समझ सकते हैं।  नागरिकता के रजिस्टर में अपना नाम दर्ज कराने के लिए आपको अपना कोई भी पहचान पत्र  या अन्य दस्तावेज देना होगा। जैसे कि आप आधार कार्ड या मतदाता सूची के लिए देते हैं।

Question: नागरिकता कैसे दी जाती है क्या यह प्रक्रिया सरकार के हाथ में होगी ?
Answer: नागरिकता नियम 2009 के तहत किसी भी व्यक्ति की नागरिकता तय की जाएगी। यह नियम नागरिकता कानून 1955 के आधार पर बना है। यह नियम सार्वजनिक रूप से सबके सामने हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए भारत का नागरिक बनने के 5 तरीके हैं।

  • जन्म के आधार पर नागरिकता
  • वंश के आधार पर नागरिकता
  • पंजीकरण के आधार पर नागरिकता
  • देशीयकरण के आधार पर नागरिकता
  • भूमि विस्तार के आधार पर नागरिकता

Question: जब कभी अनारसी लागू होगा तो क्या हमें अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने के लिए अपने माता-पिता के जन्म का विवरण उपलब्ध कराना पड़ेगा?
Answer: आपको अपने जन्म का विवरण जैसे : जन्म की तारीख, महा, वर्ष और स्थान के बारे में जानकारी देना ही पर्याप्त होगा। अगर आपके पास अपने जन्म का विवरण उपलब्ध नहीं है। तो आपको अपने माता-पिता के बारे में यही विवरण उपलब्ध कराना होगा। लेकिन कोई भी दस्तावेज माता-पिता के द्वारा ही प्रस्तुत करने की अनिवार्यता बिल्कुल नहीं होगी। जन्म की तारीख और जन्म स्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज जमा कर नागरिकता साबित की जा सकती है। हालांकि अभी तक ऐसे स्वीकार्य दस्तावेजों को लेकर भी निर्णय होना बाकी है। इसके लिए वोटर कार्ड, पासपोर्ट , आधार, लाइसेंस, बीमा के पेपर, जन्म प्रमाण पत्र, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र,  जमीन या घर के कागजात या फिर सरकारी अधिकारियों द्वारा जारी इसी प्रकार के अन्य दस्तावेजों को शामिल करने की संभावना है। इन दस्तावेजों की सूची ज्यादा लंबी होने की संभावना है ताकि किसी भी भारतीय नागरिक को अनावश्यक रूप से परेशानी न उठाना पड़े।

Question: अगर NRC लागू होता है तो क्या मुझे 1971 से पहले की वंशावली को साबित करना होगा ?
Answer:  ऐसा नहीं है। 1971 के पहले की वंशावली के लिए आपको किसी प्रकार के पहचान पत्र या माता-पिता पूर्वजों के जन्म प्रमाण पत्र जैसे किसी भी दस्तावेज को प्रस्तुत करने की जरूरत नहीं है। यह केवल असम एनआरसी के लिए मान्य था।  वह भी असम समझौता और माननीय सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के आधार पर।

Question: अगर पहचान साबित करना इतना ही आसान है तो फिर असम में 1900000 लोग कैसे NRC से बाहर हो गए? 
Answer: असम की समस्या को पूरे देश से जोड़ना ठीक नहीं है।  यहां घुसपैठ की समस्या लंबे समय से चली आ रही है इसके विरोध में वहां 6 वर्षों तक आंदोलन चला है।  इस घुसपैठ की वजह से राजीव गांधी सरकार को 1985 में एक समझौता करना पड़ा था।  इसके तहत घुसपैठियों की पहचान करने के लिए 25 मार्च 1971 को कट ऑफ डेट (CUT OF DATE) माना गया जो NRC का आधार बना।

Question: क्या NRC के लिए मुश्किल और पुराने दस्तावेज मांगे जाएंगे जिन्हें जुटा पाना मुश्किल होगा?
Answer: पहचान प्रमाणित करने के लिए बहुत सामान्य दस्तावेज की जरूरत होगी।  राष्ट्रीय स्तर पर NRC की घोषणा होती है तो उसके लिए सरकार ऐसे नियम और निर्देश तय करेगी जिससे किसी को कोई परेशानी ना हो सरकार की यह मंशा नहीं हो सकती कि वह अपने नागरिकों को परेशान करें या किसी दिक्कत में डालें।

Question: अगर कोई व्यक्ति पढ़ा लिखा नहीं है और उसके पास संबंधित दस्तावेज नहीं है तो क्या होगा?
Answer: इस मामले में अधिकारी उस व्यक्ति को गवाह लाने की इजाजत देंगे साथ ही अन्य सबूतों और कम्युनिटी वेरिफिकेशन आदि की भी अनुमति देंगे एक उचित प्रक्रिया का पालन किया जाएगा किसी भी भारतीय नागरिकों को अनुचित परेशानी में नहीं डाला जाएगा।

Question: भारत में एक बड़ी तादाद में ऐसे लोग हैं जिनके पास घर नहीं है, गरीब हैं और पढ़े लिखे नहीं हैं और उनके पास पहचान पत्र का कोई आधार भी नहीं है ऐसे लोगों का क्या होगा?
Answer: यह सोचना पूरी तरह से सही नहीं है ऐसे लोग किसी ना किसी आधार पर ही वोट डालते हैं और उन्हें सरकार की कल्याण योजनाओं का लाभ मिलता है उसी के आधार पर उसकी पहचान स्थापित हो जाएगी।

Question: क्या NRC किसी ट्रांसजेंडर, नास्तिक, आदिवासी, दलित, महिला और भूमिहीन लोगों को बाहर करता है जिनके पास दस्तावेज नहीं है?
Answer: नहीं NRC जब कभी भी लागू किया जाएगा ऊपर बताए गए किसी भी समूह को प्रभावित नहीं करेगा।

धन्यवाद !

18 DEC.2019 | DAILY CURRENT AFFAIRS QUIZ | HINDI AND ENGLISH

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