Saturday, January 18, 2020

भारत के गवर्नर जनरल | Governor-General of India | hindi

                   नमस्कार प्रिय विद्यार्थियों जैसा की पिछली कक्षा में मैंने कहा था की -" मैं आज इस इतिहास के टॉपिक को लम्बा न करते हुए इसको तीन अलग-अलग कक्षाओं में पूरा करूंगा तो आप से आशा करता हूँ की आप मेरे साथ बने रहेंगे " और आज उसी सीरीज की दूसरी कक्षा में मैं विनय आपका फिर से स्वागत करता हूँ। चलिए आज कुछ नया सिख लेते हैं। इस लेख पढ़ें और शेयर करें अगर यह आपके लिए मददगार था। 
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                        जैसा के आप जानते है की  भारत में अंग्रेजी शासन के जन्म दाता राबर्ट क्लाइव हो की माना जाता है। गवर्नर / गवर्नर जनरल भारतीय उपमहाद्वीप पर ब्रिटिश राज का प्रधान पद होता था।  हम पिछले टॉपिक में बंगाल के गवर्नर और गवर्नर जनरल के बारे में पढ़ चुके हैं।  आप इस लिंक पर जाकर उन्हें फिर से पढ़ सकते हैं।- बंगाल के गवर्नर और गवर्नर जनरल  आज हम  भारत के गवर्नर जनरल के बारे में चर्चा करेंगे। बंगाल के गवर्नर जनरल को ही 1833 चार्टर एक्ट के अनुसार पदोन्ति देकर भारत का गवर्नर जनरल बना दिया गया। 

लार्ड विलियम बैंटिक/Lord William Bentinck (1833 - 20 मार्च 1835):
  • लार्ड विलियम बैंटिक को चार्टर एक्ट 1833 के तहत पदोन्ति प्राप्त करके बंगाल के गवर्नर जनरल से भारत के पहले गवर्नर जनरल बने थे। 
  • लॉर्ड विलियम बैंटिक ने कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स की इच्छाओं के अनुसार भारतीय रियासतोँ के प्रति तटस्थता की नीति अपनाई।
  • बैंटिक ने ठगों से निपटने के लिए कर्नल स्लीमैन को नियुक्त किया था। 
  • बैंटिक के कार्य काल में अपनाई गयी मैकाले की शिक्षा निति ने भारत के बौद्धिक जीवन को उल्लेखनीय ढंग से प्रभावित किया है , इस प्रकार लार्ड विलियम बैंटिक का भारत के शिक्षा के क्षेत्र में भी महत्वपूर्ण स्थान है।  
सर चार्ल्स मैटकाफ/Lord Metcalfe or Charles Metcalfe (1835 -1836):
  • चार्ल्स मैटकॉफ  ने भारत में समाचार पत्रों पर लगे प्रतिबंधों को समापत कर दिया था इसलिए मैटकॉफ को भारतीय प्रेस का मुक्तिदाता कहते हैं।  
लार्ड ऑकलैंड/Lord Auckland (1836  - 1842):

  • लार्ड ऑकलैंड के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध (first Anglo-Afghan, 1838-1842) हुआ। 
  • 1839 ई. में ऑकलैंड ने कलकत्ता से दिल्ली तक ग्रैंड ट्रक रोड की मरम्मत करवाई।
  • ऑकलैंड के समय में भारतीय विद्यार्थियों को डॉक्टरी की शिक्षा हेतु विदेश जाने की अनुमति मिली। 
  • आकलैण्ड के कार्यकाल में बम्बई और मद्रास मेडिकल कालेजों की स्थापना की गयी। 
  • 1838 में लॉर्ड ऑकलैंड ने रणजीत सिंह और अफगान शासक शाहशुजा से मिलकर त्रिपक्षीय संधि की।

लार्ड एलनबरो/Lord Ellenborough (1842 - 1844):
  • एलनबरो के समय में प्रथम आंग्ल-अफ़ग़ान युद्धसमाप्त हुआ। 
  • 1843 में एलनबरो ने चार्ल्स नेपियर को असैनिक एवं सैनिक शक्तियों के साथ सिन्ध भेजा। नेपियर ने अगस्त, 1843 में सिन्ध को पूर्ण रूप से ब्रिटिश सम्राज्य में मिला लिया गया। 
  • 1843 के एक्ट – V के द्वारा दास-प्रथा का उन्मूलन भी एलनबरो के समय में हुआ।

लार्ड हार्डिंग/Henry Hardinge (1844 -1848 ):
  • लार्ड हार्डिंग के कार्यकाल में प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध (1845-1846 ई.)  हुआ। जो लाहौर की सन्धि के द्वारा समाप्त हुआ।
  • लार्ड हार्डिंग ने नरबलि-प्रथा पर प्रतिबंध लगाया
  • लॉर्ड हार्डिंग को प्राचीन स्मारकोँ के संरक्षण के लिए जाना जाता है। इसने स्मारकों की सुरक्षा का प्रबंध किया।
लार्ड डलहौजी/Lord Dalhousie (1848 - 1856):
  • लॉर्ड डलहौज़ी को  'अर्ल ऑफ़ डलहौज़ी' के नाम से भी जाना जाता है।
  • लार्ड डलहौजी एक  कट्टर उपयोगितावादी एवं साम्राज्यवादी था, लेकिन डलहौजी को उसके सुधारों के लिए भी जाना जाता है। 
  • डलहौजी ने 1848 में लैप्स की निति चलायी जिसे राज्य हड़प निति भी कहा जाता है। इसके द्वारा हडप्पा जाने वाले  राज्य सतारा (महाराष्ट्र) 1848, जैतपुर व संभलपुर (1849), बघाट (1850), उदयपुर (1852), झाँसी (1853), नागपुर (1854) थे।  तथा 1856 ई. में इसी निति का प्रयोग करके अवध को भी  कुशासन का आरोप लगाकर अंग्रेजी राज्य में मिला लिया गया।
  • लार्ड डलहोजी के समय में द्वितीय आंग्ल-सिक्ख युद्ध (1848-49 ई.) तथा 1849 ई. में पंजाब का ब्रिटिश शासन में विलय करके सिख राज्य का प्रसिद्ध कोहिनूर हिरा महारानी विक्टोरिया को भेज दिया गया।
  • डलहौजी के कार्यकाल में 1851-1852 में द्वितीय आंग्ल-बर्मा युद्ध लड़ा गया और 1852 में बर्मा के लोअर बर्मा एंव पिगु राज्य को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया|
  • डलहौजी के कार्यकाल में ही भारत में रेलवे और संचार प्रणाली का विकास हुआ| इसके कार्यकाल में भारत में दार्जिलिंग को सम्मिलित कर लिया गया| 
  • 16 अप्रैल 1853 को भारत ने पहली रेल मुंबई से थाणे के बीच 34 किलोमीटर के चलायी थी। जिसे ब्लैक ब्यूटी के नाम से जाना जाता है। 
  • लार्ड डलहौजी के कार्यकाल में वुड का निर्देश पत्र (Wood’s dispatch)आया,, जिसे भारत में शिक्षा सुधारों के लिए ‘मैग्नाकार्टा’कहा जाता है|
  • इसने 1852 ई. में एक इनाम कमीशन की स्थापना की, जिसका उदेशय भूमिकर रहित जागीरों का पता कर उन्हें छिन्ना था।
  • इसने 1854 में नया डाकघर अधिनियम (Post Office Act) पारित किया, जिसके द्वारा भारत में पहली बार डाक टिकटों का प्रचलन प्रारंभ हुआ|
  • 1856 ई. में तोपखाने के मुख्यालय को कलकत्ता से मेरठ स्थान्तरित किया, और सेना का मुख्यालय शिमला में स्थापित किया।
  • डलहौजी के समय में भारतीय बंदरगाहों का विकास करके, इन्हें अन्तर्राष्ट्रीय वाणिज्य के लिये खोल दिया गया| लार्ड डलहौजी के समय में ही हिन्दू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम भी पारित हुआ|
लॉर्ड कैनिंग/Lord Kanning (1858 -1862):
  • यह 1856 ई. से 1858 ई. तक भारत का गवर्नर जनरल रहा।
  • यह 1857 के विद्रोह के समय भारत का गवर्नर जनरल था। 
  • यह भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था। तत्पश्चात ब्रिटिश संसद द्वारा 1858 में पारित अधिनियम द्वारा इसे भारत के प्रथम वायरस बनाया गया।
नोट: लार्ड कैनिंग भारत का अंतिम गवर्नर जनरल था।  जिसे 1858  चार्टर एक्ट के अनुसार पदोन्ति देकर भारत का वायसरॉय बना दिया गया।  अगली पोस्ट में हम भारत के वायसरॉय के बारे में ही पढ़ेंगे। ......... 

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