आपस में आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए कुछ देशों ने अपने सिद्धांत बनाए कि वे एक-दूसरे की स्वायत्तता, समानता, प्रादेशिक अखंडता, शांति पूर्वक सह-अस्तित्व और राजनीतिक आत्मनिर्भरता का सम्मान करेंगे तथा एक दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देंगे। इसके अलावा सदस्य राष्ट्र आपस में एक दूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए काम करेंगे। आज हम उन्हीं देशों के एक संगठन के बारे में चर्चा कर रहे हैं। जिसे बिम्सटेक कहा जाता है। नमस्कार मैं हूं विनय चलिए कुछ नया सीखते हैं।
बिम्सटेक (BIMSTEC)👇
बंगाल की खाड़ी से जुड़े सात देश बिम्सटेक के सदस्य हैं। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार, श्री लंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। BIMSTEC का पूरा नाम 'बे ऑफ बंगाल इनिशटिव फॉर मल्टि सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकनॉमिक कोऑपरेशन' है। 2014 में ढाका में इसका स्थायी सचिवालय खोला गया था। इसके वर्तमान महासचिव बांग्लादेश के एम. शाहिदुल इस्लाम हैं। अध्यक्षता के लिए बिम्सटेक ऐल्फाबेटिकल क्रम का इस्तेमाल करता है। इसकी अध्यक्षता 1997-1999 में बांग्लादेश से शुरू हुई थी और अलग-अलग देशों के पास इसकी अध्यक्षता जाती है।
इतिहास 👇
6 जून, 1997 को बैंगकॉक में बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों के एक ग्रुप का गठन हुआ। इस ग्रुप का मकसद उस समय आपस में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था। उसका नाम BIST-EC रखा गया यानी बांग्लादेश, इंडिया, श्रीलंका ऐंड थाइलैंड इकनॉमिक कोऑपरेशन । 22 दिसंबर, 1997 को इस ग्रुप में म्यांमार भी शामिल हो गया। फिर इस ग्रुप का नाम BIMST-EC कर दिया गया। 1998 में नेपाल बिम्सटेक का पर्यवेक्षक बना। फरवरी 2004 में नेपाल और भूटान बिम्सटेक का पूर्ण सदस्य बन गया। 31 जुलाई, 2004 को इस ग्रुप का पहला सम्मेलन हुआ जिसमें इसका नाम बदलकर BIMSTEC कर दिया गया।
सिद्धांत👇
बिमस्टेक देश एक-दूसरे के सहयोग को प्रतिबद्ध हैं। आपस में आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए बिम्सटेक देशों ने कुछ सिद्धांत तए किए हैं। वे सिद्धांत इस तरह से हैं, एक-दूसरे की स्वायत्ता, समानता, प्रादेशिक अखंडता, शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व और राजनीतिक आत्मनिर्भरता का सम्मान करेंगे। एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देंगे। इसके अलावा सदस्य राष्ट्र आपस में एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए काम करेंगे।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र👇
सात सदस्यों वाले बिम्सटेक ने अपनी प्राथमिकता के 14 क्षेत्र तय किए हैं यानी ये वे क्षेत्र हैं जिनमें वे योगदान देंगे। हर देश ने एक या ज्यादा क्षेत्रों में योगदान देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। भारत आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने में अपना योगदान देगा। इसके अलावा दूरसंचार और परिवहन के क्षेत्र में भी सुधार के लिए भारत ने अपनी प्रतिबद्धता जताई है। अन्य अहम क्षेत्रों में व्यापार और निवेश, तकनीक, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्यपालन, कृषि, सांस्कृतिक सहयोग, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन, जन स्वास्थ्य, लोगों से लोगों का संपर्क, गरीबी उन्मूलन आदि शामिल हैं।
SAARC पर BIMSTEC को क्यों प्राथमिकता दे रहा भारत?
2014 में नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण में सार्क देशों को न्योता भेजा गया था। सार्क (SAARC) का पूरा नाम 'साउथ एशियन असोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन' है। सार्क में भारत के पड़ोसी देश शामिल हैं। इसमें अफगानिस्तान, मालदीव और पाकिस्तान भी आता है। बिम्सटेक को ज्यादा तवज्जो दिए जाने की कई वजह है। इसके माध्यम से जहां पाकिस्तान और चीन को छोड़कर भारत अपने अन्य पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है, वहीं व्यापार भी महत्व रखता है। सार्क देशों के साथ व्यापार की भी एक सीमा है। 2015-16 में भारत का सार्क देशों से व्यापार 21.5 अरब डॉलर का था। इनमें से अकेले बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ भारत का व्यापार 60 फीसदी था। बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों बिम्सटेक में शामिल हैं। बिम्सटेक देशों के साथ फायदा यह है कि पाकिस्तान के बारे में बात किए बगैर भारत अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकता है। यह कूटनीतिक तौर पर भी भारत का जबरदस्त कदम है। इससे भारत ने संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने का अपना प्रयास जारी रखेगा।
चीन से मुकाबला 👇
बिम्सटेक की मदद से भारत चीन से भी मुकाबला कर सकता है। आसियान देशों के संगठन में चीन सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2017 में इसका 514.8 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। पीएम मोदी अपनी ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत आसियान-ASEAN (Southeast Asian nations) देशों के साथ अपने व्यापार और संबंध को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं। ऐसे में बिम्सटेक देश थाइलैंड और म्यांमार से बेहतर संबंध होने से मदद मिलेगी क्योंकि थाइलैंड और म्यांमार आसियान देशों में भी शामिल हैं।
बिम्सटेक की संभावनाएं👇
बिम्सटेक की ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, '2012 से 2016 के बीच सातों राष्ट्र की वार्षिक औसत आर्थिक वृद्दि 3.4 फीसदी से 7.5 फीसदी के बीच थी। दुनिया में जितने सामानों का व्यापार होता है, उसका एक चौथाई बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरता है। बिम्सटेक से भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों को भी फायदा पहुंचेगा। करीब 4.5 करोड़ लोगों की आबादी वाले पूर्वोत्तर के राज्य चारों तरफ से घिरे हुए हैं और किसी समुद्री मार्ग से जुड़े नहीं हैं। बिम्सटेक देशों के साथ सहयोग से इस समस्या का हल हो सकता है।'
बिम्सटेक (BIMSTEC)👇
बंगाल की खाड़ी से जुड़े सात देश बिम्सटेक के सदस्य हैं। इसमें भारत के अलावा बांग्लादेश, म्यांमार, श्री लंका, थाईलैंड, नेपाल और भूटान शामिल हैं। BIMSTEC का पूरा नाम 'बे ऑफ बंगाल इनिशटिव फॉर मल्टि सेक्टोरल टेक्निकल ऐंड इकनॉमिक कोऑपरेशन' है। 2014 में ढाका में इसका स्थायी सचिवालय खोला गया था। इसके वर्तमान महासचिव बांग्लादेश के एम. शाहिदुल इस्लाम हैं। अध्यक्षता के लिए बिम्सटेक ऐल्फाबेटिकल क्रम का इस्तेमाल करता है। इसकी अध्यक्षता 1997-1999 में बांग्लादेश से शुरू हुई थी और अलग-अलग देशों के पास इसकी अध्यक्षता जाती है।
इतिहास 👇
6 जून, 1997 को बैंगकॉक में बंगाल की खाड़ी से जुड़े देशों के एक ग्रुप का गठन हुआ। इस ग्रुप का मकसद उस समय आपस में आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना था। उसका नाम BIST-EC रखा गया यानी बांग्लादेश, इंडिया, श्रीलंका ऐंड थाइलैंड इकनॉमिक कोऑपरेशन । 22 दिसंबर, 1997 को इस ग्रुप में म्यांमार भी शामिल हो गया। फिर इस ग्रुप का नाम BIMST-EC कर दिया गया। 1998 में नेपाल बिम्सटेक का पर्यवेक्षक बना। फरवरी 2004 में नेपाल और भूटान बिम्सटेक का पूर्ण सदस्य बन गया। 31 जुलाई, 2004 को इस ग्रुप का पहला सम्मेलन हुआ जिसमें इसका नाम बदलकर BIMSTEC कर दिया गया।
सिद्धांत👇
बिमस्टेक देश एक-दूसरे के सहयोग को प्रतिबद्ध हैं। आपस में आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए बिम्सटेक देशों ने कुछ सिद्धांत तए किए हैं। वे सिद्धांत इस तरह से हैं, एक-दूसरे की स्वायत्ता, समानता, प्रादेशिक अखंडता, शांतिपूर्वक सह-अस्तित्व और राजनीतिक आत्मनिर्भरता का सम्मान करेंगे। एक-दूसरे के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देंगे। इसके अलावा सदस्य राष्ट्र आपस में एक-दूसरे को फायदा पहुंचाने के लिए काम करेंगे।
प्राथमिकता वाले क्षेत्र👇
सात सदस्यों वाले बिम्सटेक ने अपनी प्राथमिकता के 14 क्षेत्र तय किए हैं यानी ये वे क्षेत्र हैं जिनमें वे योगदान देंगे। हर देश ने एक या ज्यादा क्षेत्रों में योगदान देने के लिए प्रतिबद्धता जताई है। भारत आतंकवाद और अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने में अपना योगदान देगा। इसके अलावा दूरसंचार और परिवहन के क्षेत्र में भी सुधार के लिए भारत ने अपनी प्रतिबद्धता जताई है। अन्य अहम क्षेत्रों में व्यापार और निवेश, तकनीक, ऊर्जा, पर्यटन, मत्स्यपालन, कृषि, सांस्कृतिक सहयोग, पर्यावरण और आपदा प्रबंधन, जन स्वास्थ्य, लोगों से लोगों का संपर्क, गरीबी उन्मूलन आदि शामिल हैं।
SAARC पर BIMSTEC को क्यों प्राथमिकता दे रहा भारत?
2014 में नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण में सार्क देशों को न्योता भेजा गया था। सार्क (SAARC) का पूरा नाम 'साउथ एशियन असोसिएशन फॉर रीजनल कोऑपरेशन' है। सार्क में भारत के पड़ोसी देश शामिल हैं। इसमें अफगानिस्तान, मालदीव और पाकिस्तान भी आता है। बिम्सटेक को ज्यादा तवज्जो दिए जाने की कई वजह है। इसके माध्यम से जहां पाकिस्तान और चीन को छोड़कर भारत अपने अन्य पड़ोसी देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत कर सकता है, वहीं व्यापार भी महत्व रखता है। सार्क देशों के साथ व्यापार की भी एक सीमा है। 2015-16 में भारत का सार्क देशों से व्यापार 21.5 अरब डॉलर का था। इनमें से अकेले बांग्लादेश और श्रीलंका के साथ भारत का व्यापार 60 फीसदी था। बांग्लादेश और श्रीलंका दोनों बिम्सटेक में शामिल हैं। बिम्सटेक देशों के साथ फायदा यह है कि पाकिस्तान के बारे में बात किए बगैर भारत अपने व्यापार को आगे बढ़ा सकता है। यह कूटनीतिक तौर पर भी भारत का जबरदस्त कदम है। इससे भारत ने संकेत दिया है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने का अपना प्रयास जारी रखेगा।
चीन से मुकाबला 👇
बिम्सटेक की मदद से भारत चीन से भी मुकाबला कर सकता है। आसियान देशों के संगठन में चीन सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है। 2017 में इसका 514.8 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। पीएम मोदी अपनी ऐक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत आसियान-ASEAN (Southeast Asian nations) देशों के साथ अपने व्यापार और संबंध को मजबूत करने पर काम कर रहे हैं। ऐसे में बिम्सटेक देश थाइलैंड और म्यांमार से बेहतर संबंध होने से मदद मिलेगी क्योंकि थाइलैंड और म्यांमार आसियान देशों में भी शामिल हैं।
बिम्सटेक की संभावनाएं👇
बिम्सटेक की ग्रोथ की काफी संभावनाएं हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, '2012 से 2016 के बीच सातों राष्ट्र की वार्षिक औसत आर्थिक वृद्दि 3.4 फीसदी से 7.5 फीसदी के बीच थी। दुनिया में जितने सामानों का व्यापार होता है, उसका एक चौथाई बंगाल की खाड़ी से होकर गुजरता है। बिम्सटेक से भारत के पूर्वोत्तर के राज्यों को भी फायदा पहुंचेगा। करीब 4.5 करोड़ लोगों की आबादी वाले पूर्वोत्तर के राज्य चारों तरफ से घिरे हुए हैं और किसी समुद्री मार्ग से जुड़े नहीं हैं। बिम्सटेक देशों के साथ सहयोग से इस समस्या का हल हो सकता है।'
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