Sunday, April 12, 2020

मुद्रास्फीति के अर्थव्यवस्था और विविध आर्थिक गतिविधियों पर प्रभाव | Impact of inflation on economy and diversified economic activities

प्रत्येक अर्थव्यवस्था के लिए मुद्रास्फीति दर का एक विशेष प्रास ही उचित होता है। भारत के लिए यह 4 से 5% माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार प्रत्येक अर्थव्यवस्था में संबंधित प्राश के पार की मुद्रास्फीति प्रतिसार, सुस्ती या मंदी जैसी समस्याएं उत्पन्न करती है। मुद्रास्फीति के अर्थव्यवस्था और विविध आर्थिक गतिविधियों पर बहुआयामी प्रभाव पड़ते हैं जिन्हें हम आज के लेख में पढ़ेंगे। नमस्कार में हूँ विनय चलिए कुछ नया सीखते हैं। 

Inflation Definition | Causes of Inflation Rate and Effects | Hindi

 ऋण लेने वाले पर  (On the Borrower) 

ऋण लेने वाले को मुद्रास्फीति के बढ़ने से वृद्धि की मात्रा के बराबर लाभ होता है। मुद्रास्फीति वृद्धि ऋण देने वाले के लाभ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वर्दी की मात्रा के बराबर।

 ऋण देने वाले पर  (On Lender) 


मुद्रास्फीति वृद्धि ऋण देने वाले के लाभ पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है वृद्धि की मात्रा के बराबर।

 मांग पर  (On Demand)  


मुद्रास्फीति में वृद्धि का मांग पर वृद्धि कारी प्रभाव पड़ता है और उत्पादन बढ़ाने का संकेत मिलता है।

 ऋण आवंटन पर  (On Loan Allocation) 


मुद्रास्फीति की वृद्धि ऋण आवंटन की दर को बढ़ाती है। क्योंकि कर्ज लेना सस्ता हो जाता है।

 निवेश पर (On Investment) 


बढ़ी हुई मुद्रास्फीति निवेश को बढ़ाती है क्योंकि यहां एक तरफ ऋण सस्ता हो जाता है वहीं बाजार में उत्पादों की बढ़ी मांग का संकेत भी मिलता है।

 विनिमय दर पर (At The Exchange Rate) 


हर मुद्रास्फीति के साथ देश की मुद्रा की विनिमय दर में परिवर्तन होता है।इसके बढ़ने से मुद्रा का मूल्य घट जाता (depreciation) है तथा बढ़ने से बढ़ जाता (appreciation) है।

 निर्यात पर (On Export 


मुद्रास्फीति की वृद्धि देश की वस्तुओं के निर्यात को बढ़ाती है क्योंकि गिरावट के कारण उत्पादों में मूल्य प्रतिस्पर्धा बढ़ जाती है।

 आयात पर (On Import 


मुद्रास्फीति बढ़ने से आयात में कमी होती है क्योंकि गिरावट के कारण देश की मुद्रा अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बाजार में कमजोर पड़ती है और बराबर मात्रा के आयात के लिए अब अधिक वह करना पड़ता है।

 वेतन भोगी पर (Salaried)  


मुद्रास्फीति की हर विरोधी वास्तविक मजदूरी को कम करती है और इस प्रकार वेतन भोगी की क्रय शक्ति और जीवन स्तर में ह्रास होता है।

 स्व रोजगारी पर (On self employment 


इन पर बड़ी मुद्रास्फीति का काफी कम प्रभाव पड़ता है। क्योंकि इनके द्वारा उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को भी मूल्य वृद्धि होती है जिससे इनकी आय में समतुल्य वृद्धि हो जाती है और महंगाई का प्रभाव उदासीन हो जाता है।

 बचत पर (On Savings 


मुद्रास्फीति व्यक्ति के व्यय में वृद्धि करती है जिस कारण अर्थव्यवस्था की बचत दर गिरती है।

 करों पर (On Texes 


मुद्रास्फीति की वृद्धि का करों की वसूली पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है क्योंकि करों की वसूली यथा मूल्य होती है।
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