Friday, April 10, 2020

रॉकेट किस तरह के ईंधन का उपयोग करते हैं | यह उन्हें अंतरिक्ष में जाने के लिए पर्याप्त शक्ति कैसे देता है?

भारत ने 1975 में अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम उपग्रह प्रमोचन यान (satellite launch vehicle) SLV-3 को श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक स्थापित किया।इससे पहले अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग तथा रूसी यात्री यूरी गागरिन द्वारा अंतरिक्ष में सफलतापूर्वक भ्रमण इस शताब्दी की महत्वपूर्ण उपलब्धियां माना जाता था। इन सभी अंतरिक्ष प्रमोचन यानो में रॉकेट मोटर होते हैं और नोदन तंत्र(Propulsion system) द्वारा कार्य करते हैं। रॉकेट में काम आने वाला ईंधन रॉकेट ईंधन कहलाता है। आज हम इसी इंधन के बारे में चर्चा करेंगे । नमस्कार मैं हूं विनय चलिए कुछ नया सीखते हैं।




Matter: Definition & the Five States of Matter

MATTER: DEFINITION & THE FIVE STATES OF MATTER

            Matter is all around us. Matter is the air you are breathing. Matter is the computer you are reading from now. Matter is the s...
नोदक एक प्रकार का विस्फोटक होता है जिसका प्रयोग बंदूक से प्रक्षेपण में किया जाता है। यह ऑक्सीकारक पदार्थ (द्रव ऑक्सीजन, द्रव फ्लोरीन, हाइड्रोजन प्रक्साइड, या नाइट्रिक अम्ल)तथा ईंधन का संयोजन है जो जलने पर भारी मात्रा में तप्त गैस उत्पन्न करता है। जिस इंधन से विस्फोट होने पर प्रणोद उत्पन्न होता है और रॉकेट आगे बढ़ता है। यह न्यूटन के गति के तृतीय नियम के अनुसार होता है। नोदक की भौतिक अवस्था को हम तीन चरणों में विभाजित करते हैं जो इस प्रकार हैं।

 द्रव नोदक (Fluid propellant) 

ईंधन , जैसे एल्कोहल, द्रव हाइड्रोजन, द्रव अमोनिया, मिट्टी का तेल, हाइड्रेजीन तथा बोरोन के हाइड्राइड द्रव नोदक के रूप में प्रयुक्त होते हैं। ठोस नोदकों   को की अपेक्षा द्रव नोदक से अधिक प्रणोद होता है। तथा इनके प्रवाह को नियंत्रित किया जा सकता है। कुछ अन्य द्रव जैसे - मैथिल नाइट्रेट, नाइट्रो मेथेन, आदि भी द्रव नोदक के रूप में प्रयोग किए जाते हैं।

 ठोस नोदक (Solid propellant) 

ठोस ईंधन जैसे- पॉलीब्यूटाइन, व एक्रिलिक अमल को एलुमिनियम पर्कलोरेट नाइट्रेट या क्लोरेट जैसे ऑक्सीकारकों के साथ काम में लिया जाता है। मैग्नीशियम व एलुमिनियम का उपयोग ठोस नोदक को जलाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है क्योंकि इनका देहन ताप अधिक होता है। इस प्रकार के नोदक को संयुक्त नोदक कहते हैं। एक अन्य प्रकार का ठोस नोदक भी है जिसे द्विगुण मूल(double base) नोदक कहते हैं इसमें मुख्यतः नाइट्रोग्लिसरीन तथा नाइट्रोसैलूलोज होते हैं। 

 संकर नोदक (Hybrid propellant) 

संकर रॉकेट नोदक, ठोस ईंधन व द्रविय ऑक्सीकारकों का मिश्रण है। इसका मुख्य संगटन N2O4  व एक्रिलिक रबर होता है। 

 विभिन्न देशों के कुछ महत्वपूर्ण रॉकेट तंत्र व उन में प्रयोग किए जाने वाले नोदक  इस प्रकार हैं: 


  • रूसी रॉकेट में द्रवित प्रोटॉन नोदक का प्रयोग किया जाता है जो मिट्टी के तेल और द्रवित ऑक्सीजन का मिश्रण है।
  • Saturn booster (अमेरिकी रॉकेट) मैं भी मिट्टी के तेल और द्रवित ऑक्सीजन का मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। 
  • भारतीय रॉकेट SLV-3 तथा ASLV में ठोस नोदक का प्रयोग किया जाता है। भारतीय पीएसएलवी (PSLV) रॉकेट प्रथम व तृतीय चरणों में ठोस नोदक तथा द्वितीय और चतुर्थ चरण में द्रव नोदक काम में लिया जाता है जिसमें N2H4 और डाई मेथिल हाइड्रेजिन(DMH) तथा मोनोमैथिल हाइड्रजीन(MMH) होता है। 

2 comments

Abhi said...

Thanks sir sir ek post naval or army excercise per bhi kar do please

VINAY SIR said...

ok beta