भारत के प्राचीन राजवंशों में से एक वंश रहा है- कुषाण वंश। जिसके बारे में हम आज इतिहास के पन्नों से कुछ महत्वपूर्ण जानकारी से अवगत होने जा रहे हैं। इस लेख को प्रतियोगिता परिक्षों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। नमस्कार मैं हूँ विनय चलिए कुछ नया सीखते है।
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कुषाण वंश
कुषाण राजवंश भारत के प्राचीन राजवंशों में से एक था। कुछ इतिहासकार इस वंश को चीन से आए युएझ़ी लोगों के मूल का मानते है। कुछ विद्वानो इनका सम्बन्ध रबातक शिलालेख पर अंकित शब्द गुसुर के जरिये गुर्जरो से भी बताते है। ‘युइशि जाति’, जिसे ‘यूची क़बीला’ के नाम से भी जाना जाता है, का मूल अभिजन तिब्बत के उत्तर-पश्चिम में ‘तकला मक़ान’ की मरुभूमि के सीमान्त क्षेत्र में था। हूणों के आक्रमण प्रारम्भ हो चुके थे युइशि लोगों के लिए यह सम्भव नहीं था कि वे बर्बर और प्रचण्ड हूण आक्रान्ताओं का मुक़ाबला कर सकते। वे अपने अभिजन को छोड़कर पश्चिम व दक्षिण की ओर जाने के लिए विवश हुए। उस समय सीर नदी की घाटी में शक जाति का निवास था। यूची क़बीले के लोगों ने कुषाण वंश प्रारम्भ किया।
वंश का इतिहास
कुषाण राजवंश (लगभग 30 ई. से लगभग 225 ई. तक) ई. सन् के आरंभ से शकों की कुषाण नामक एक शाखा का प्रारम्भ हुआ। विद्वानों ने इन्हें युइशि, तुरूश्क (तुखार) नाम दिया है। युइशि जाति प्रारम्भ में मध्य एशिया में थी। वहाँ से निकाले जाने पर ये लोग कम्बोज-बाह्यीक में आकर बस गये और वहाँ की सभ्यता से प्रभावित रहे। हिंदुकुश को पार कर वे चितराल देश के पश्चिम से उत्तरी स्वात और हज़ारा के रास्ते आगे बढ़ते रहे। तुखार प्रदेश की उनकी पाँच रियासतों पर उनका अधिकार हो गया। ई. पूर्व प्रथम शती में कुषाणों ने यहाँ की सभ्यता को अपनाया।
वंश के शासक
- कुजुल कडफ़ाइसिस: शासन काल (30 ई. से 80 ई तक लगभग)
- विम तक्षम: शासन काल (80 ई. से 95 ई तक लगभग)
- विम कडफ़ाइसिस: शासन काल (95 ई. से 127 ई तक लगभग)
- कनिष्क प्रथम: शासन काल(127 ई. से 140-50 ई. लगभग)
- वासिष्क प्रथम: शासन काल (140-50 ई. से 160 ई तक लगभग)
- हुविष्क: शासन काल (160 ई. से 190 ई तक लगभग)
- वासुदेव प्रथम
- कनिष्क द्वितीय
- वशिष्क
- कनिष्क तृतीय
- वासुदेव द्वितीय
नोट: इस सूची से अलग भी कुषाण वंश के राजा हुए हैं जिनका अधिक महत्त्व नहीं है और इतिहास भी स्पष्ट ज्ञात नहीं है।
वंश के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य
- कुषाण चीन के पश्चिमोत्तर प्रदेश में निवास करने वाली यूची जाति थी।
- यूची कबीले ने शकों से ताहिआ क्षेत्र को जीता लिया।
- 72 ई० में कनिष्क कुषाण साम्रा्ज्य का शासक बना।
- कनिष्क कुषाण वंश का सबसे प्रतापी शासक था।
- विम कडफिसेस के बाद कनिष्क ने राज्य सभाला था।
- कनिष्क का राज्यभिषेेक 78 ई० में हुआ था।
- इसनेे अपनी राजधानी पुरूषपुर को बनाया था।
- इसके राज्य की दूसरी राजधानी मथुरा थी।
- शक सम्वत् की शुरूअत 78 AD में कनिष्क ने की थी।
- कनिष्क ने कश्मीर को जीतकर वहॉ कनिष्कपुर नामक नगर की स्थापना की थी।
- कनिष्क बौद्ध धर्म की महायान शाखा का अनुयायी था।
- कनिष्क के प्रचार के लिए कनिष्क को द्वतीय अशोक भी कहा जाता है।
- कनिष्क दरवार के महान साहित्यकार तथा कवि अश्वघोष थे।
- अश्वघोष द्वारा लिखित बुद्धचरित की तुलना वाल्मीकी रामायण से की जाती है।
- कनिष्क के दरवार में महान दार्शनिक एवं वैज्ञानिक नागार्जुन थे।
- नागार्जुन को भारत का आइन्सटाइन कहा जाता है।
- कनिष्क के राजवैध आयुर्वेद के महापण्डित चरक थे
- चरक ने औषधि पर चरकसंहिता नामक ग्रंथ की रचना की थी।
- कनिष्क के युग में ही गांधार कला, सारनाथ कला, मथुरा कला तथा अमरावती कला का विकास हुआ था।
- गांधार कला में ही सबसे पहले बुद्ध की मूर्तियों का निर्माण हुआ था।
- वासुदेव कुषाण वंश का अंतिम शासक था।
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